
बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने अचानक दिल्ली के वीवीआईपी ज़ोन 35 लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगले को खाली कर दिया है। यह वही आवास है जो उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मिला था। लेकिन अब जब उन्होंने चुपचाप बंगला छोड़ा और चाबियां CPWD को सौंप दीं, तो सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
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कब और क्यों छोड़ा बंगला?
सूत्रों के मुताबिक, 20 मई 2025 को मायावती ने बंगला खाली कर दिया था। हालांकि, बसपा की ओर से इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी (नाम न छापने की शर्त पर) ने बताया कि सुरक्षा कारणों से यह निर्णय लिया गया। “बंगले के पास स्थित स्कूल, भीड़-भाड़ और वाहनों की आवाजाही ने सुरक्षा एजेंसियों को असमंजस में डाला। इसलिए यह कदम उठाया गया।” – बसपा पदाधिकारी
Z+ सिक्योरिटी और सुरक्षा की दुविधा
मायावती को Z+ कैटेगरी सुरक्षा प्राप्त है। ऐसे में उनका आवास हाई-सिक्योरिटी ज़ोन माना जाता है। लेकिन बंगले के ठीक सामने एक स्कूल और लगातार वहां खड़ी रहने वाली वैन व गाड़ियाँ, सुरक्षा मानकों में बाधा बन रही थीं।
जब मायावती बंगले में होती थीं, बम निरोधक दस्तों को पूरे इलाके की जांच करनी पड़ती थी। आसपास के नागरिकों और स्कूल प्रशासन को असुविधा होती थी। सुरक्षाकर्मियों के वाहन भी पार्किंग में दिक्कत पैदा करते थे।
पार्टी में भी चुप्पी
बसपा के अधिकांश वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। यही बात सियासी हलचल को और तेज कर रही है। जब भी कोई बड़ा नेता वीवीआईपी ज़ोन का आवास छोड़ता है, तो इसके पीछे आमतौर पर कोई बड़ा सियासी या कानूनी कारण होता है।
कदम छोटा, असर बड़ा
मायावती का यह कदम भले ही व्यक्तिगत या सुरक्षा से जुड़ा फैसला हो, लेकिन राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसका मतलब बहुत गहरा हो सकता है।
आने वाले समय में क्या बसपा कोई नई सियासी दिशा अख्तियार करने वाली है? या यह सिर्फ एक संयोग मात्र है?
फिलहाल, देशभर में लोग मायावती के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।
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